महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं

विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्

विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्...नित्रिनेत्रं

सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्......

हे महेश्वर, सुरेश्वर, देवों (के भी) दु:खों का नाश करने वाले विभुं विश्वनाथ (आप) विभुति धारण करने वाले 


हैं, सूर्य, चन्द्र एवं अग्नि आपके तीन नेत्र के सामान हैं। ऎसे सदा आनन्द प्रदान करने वाले पञ्चमुख वाले 


महादेव मैं आपकी स्तुति करता हूँ।