"Kisi Ke Achche Ya Bure Karm Ka Fal Tatkaal Prapt Hota Naa Dekhkar Hume Yah Sochna Nahi
Chahiye Ki Humare Karmo Ka Fal Aage Nahi
Milega. Karm Fal Se Koi Bhi Bach Nahi Sakta, Kyun Ki Ishwar Sarv Vyapak, Sarvagy Tatha
Nyaaykari Hai.....!!!"
बारह ज्योतिर्लिंग पौराणिक कथा - चौदश कथा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
ऊँ महाकाल महाकाय, महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥
उज्जैन नगरी सदा से ही धर्म और आस्था की नगरी रही है. उज्जैन की मान्यता किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. यहां पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में एक मात्र ऎसा ज्योतिर्लिंग है. जो दक्षिण की और मुख किये हुए है. यह ज्योतिर्लिंग तांत्रिक कार्यो के लिए विशेष रुप से जाना जाता है.
इसके अतिरिक्त इस ज्योतिर्लिग की सबसे बडी विशेषता यह है कि यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है. अर्थात इसकी स्थापना अपने आप हुई है. इस धर्म स्थल में जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्वा और विश्वास के साथ आता है. उस व्यक्ति के आने का औचित्य अवश्य पूरा होता है. महाकाल की पूजा विशेष रुप से आयु वृ्द्धि और आयु पर आये हुए संकट को टालने के लिए की जाती है. स्वास्थय संबन्धी किसी भी प्रकार के अशुभ फल को कम करने के लिए भी महाकाल ज्योतिर्लिंग में पूजा-उपासना करना पुन्यकारी रहता है.
महाकालेश्वर मंदिर के विषय में मान्यता है, कि महाकाल के भक्तो का मृ्त्यु और बीमारी का भय समाप्त हो जाता है. और उन्हें यहां आने से अभय दान मिलता है. महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन के राजा है. और वर्षों से उज्जैन कि रक्षा कर रहे है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापना कथा
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से संबन्धित के प्राचीन कथा प्रसिद्ध है. कथा के अनुसार एक बार अवंतिका नाम के राज्य में राजा वृ्षभसेन नाम के राजा राज्य करते थे. राजा वृ्षभसेन भगवान शिव के अन्यय भक्त थे. अपनी दैनिक दिनचर्या का अधिकतर भाग वे भगवान शिव की भक्ति में लगाते थे.
एक बार पडौसी राजा ने उनके राज्य पर हमला कर दिया. राजा वृ्षभसेन अपने साहस और पुरुषार्थ से इस युद्ध को जीतने में सफल रहा. इस पर पडौसी राजा ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अन्य किसी मार्ग का उपयोग करना उचित समझा. इसके लिए उसने एक असुर की सहायता ली. उस असुर को अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था.
राक्षस ने अपनी अनोखी विद्या का प्रयोग करते हुए अवंतिका राज्य पर अनेक हमले की. इन हमलों से बचने के लिए राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव की शरण लेनी उपयुक्त समझी. अपने भक्त की पुकार सुनकर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होनें स्वयं ही प्रजा की रक्षा की. इस पर राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव से अंवतिका राज्य में ही रहने का आग्रह किया, जिससे भविष्य में अन्य किसी आक्रमण से बचा जा सके. राजा की प्रार्थना सुनकर भगवान वहां ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट हुए. और उसी समय से उज्जैन में महाकालेश्वर की पूजा की जाती है.
महाकालेश्वर मंदिर मान्यता और महत्व
उज्जैन राज्य में महाकाल मंदिर में दर्शन करने वाले भक्त ज्योतिर्लिंग के साथ साथ भगवान कि पूजा में प्रयोग होने वाली भस्म के दर्शन अवश्य करते है, अन्यथा श्रद्वालु को अधूरा पुन्य मिलता है. भस्म के दर्शनों का विशेष महत्व होने के कारण ही यहां आरती के समय विशेष रुप से श्रद्वालुओं का जमघट होता है.
आरती के दौरान जलती हुई भस्म से ही यहां भगवान महाकालेश्वर का श्रंगार किया जाता है. इस कार्य को दस नागा साधुओं के द्वारा किया जाता है. भस्म आरती में केवल पुरुष भक्त ही भाग ले सकते है. और दर्शन कर सकते है. महिलाओं को इस दौरान दर्शन और पूजन करना वर्जित होता है.
इसके अतिरिक्त जो भक्त इस मंदिर में सोमवती अमावस्या के दिन यहां आकर पूजा करता है, उसके सभी पापों का नाश होता है.
कोटि कुण्ड उज्जैन
दक्षिणामुखी महाकालेश्वर मंदिर के निकट ही एक कुण्ड है. इस कुण्ड को कोटि कुण्ड के नाम से जाना जाता है. इस कुण्ड में कोटि-कोटि तीर्थों का जल है. अर्थात इस कुण्ड में अनेक तीर्थ स्थलों का जल होने की मान्यता है. इसी वजह से इस कुण्ड में स्नान करने से अनेक तीर्थ स्थलों में स्नान करने के समान पुन्यफल प्राप्त होता है. इस कुण्ड की स्थापना भगवान राम के परम भक्त हनुमान के द्वारा की गई थी.
महाकाल मंत्र
ऊँ महाकाल महाकाय, महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥
ऊँ महाकाल महाकाय, महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥
उज्जैन नगरी सदा से ही धर्म और आस्था की नगरी रही है. उज्जैन की मान्यता किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. यहां पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में एक मात्र ऎसा ज्योतिर्लिंग है. जो दक्षिण की और मुख किये हुए है. यह ज्योतिर्लिंग तांत्रिक कार्यो के लिए विशेष रुप से जाना जाता है.
इसके अतिरिक्त इस ज्योतिर्लिग की सबसे बडी विशेषता यह है कि यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है. अर्थात इसकी स्थापना अपने आप हुई है. इस धर्म स्थल में जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्वा और विश्वास के साथ आता है. उस व्यक्ति के आने का औचित्य अवश्य पूरा होता है. महाकाल की पूजा विशेष रुप से आयु वृ्द्धि और आयु पर आये हुए संकट को टालने के लिए की जाती है. स्वास्थय संबन्धी किसी भी प्रकार के अशुभ फल को कम करने के लिए भी महाकाल ज्योतिर्लिंग में पूजा-उपासना करना पुन्यकारी रहता है.
महाकालेश्वर मंदिर के विषय में मान्यता है, कि महाकाल के भक्तो का मृ्त्यु और बीमारी का भय समाप्त हो जाता है. और उन्हें यहां आने से अभय दान मिलता है. महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन के राजा है. और वर्षों से उज्जैन कि रक्षा कर रहे है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापना कथा
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से संबन्धित के प्राचीन कथा प्रसिद्ध है. कथा के अनुसार एक बार अवंतिका नाम के राज्य में राजा वृ्षभसेन नाम के राजा राज्य करते थे. राजा वृ्षभसेन भगवान शिव के अन्यय भक्त थे. अपनी दैनिक दिनचर्या का अधिकतर भाग वे भगवान शिव की भक्ति में लगाते थे.
एक बार पडौसी राजा ने उनके राज्य पर हमला कर दिया. राजा वृ्षभसेन अपने साहस और पुरुषार्थ से इस युद्ध को जीतने में सफल रहा. इस पर पडौसी राजा ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अन्य किसी मार्ग का उपयोग करना उचित समझा. इसके लिए उसने एक असुर की सहायता ली. उस असुर को अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था.
राक्षस ने अपनी अनोखी विद्या का प्रयोग करते हुए अवंतिका राज्य पर अनेक हमले की. इन हमलों से बचने के लिए राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव की शरण लेनी उपयुक्त समझी. अपने भक्त की पुकार सुनकर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होनें स्वयं ही प्रजा की रक्षा की. इस पर राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव से अंवतिका राज्य में ही रहने का आग्रह किया, जिससे भविष्य में अन्य किसी आक्रमण से बचा जा सके. राजा की प्रार्थना सुनकर भगवान वहां ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट हुए. और उसी समय से उज्जैन में महाकालेश्वर की पूजा की जाती है.
महाकालेश्वर मंदिर मान्यता और महत्व
उज्जैन राज्य में महाकाल मंदिर में दर्शन करने वाले भक्त ज्योतिर्लिंग के साथ साथ भगवान कि पूजा में प्रयोग होने वाली भस्म के दर्शन अवश्य करते है, अन्यथा श्रद्वालु को अधूरा पुन्य मिलता है. भस्म के दर्शनों का विशेष महत्व होने के कारण ही यहां आरती के समय विशेष रुप से श्रद्वालुओं का जमघट होता है.
आरती के दौरान जलती हुई भस्म से ही यहां भगवान महाकालेश्वर का श्रंगार किया जाता है. इस कार्य को दस नागा साधुओं के द्वारा किया जाता है. भस्म आरती में केवल पुरुष भक्त ही भाग ले सकते है. और दर्शन कर सकते है. महिलाओं को इस दौरान दर्शन और पूजन करना वर्जित होता है.
इसके अतिरिक्त जो भक्त इस मंदिर में सोमवती अमावस्या के दिन यहां आकर पूजा करता है, उसके सभी पापों का नाश होता है.
कोटि कुण्ड उज्जैन
दक्षिणामुखी महाकालेश्वर मंदिर के निकट ही एक कुण्ड है. इस कुण्ड को कोटि कुण्ड के नाम से जाना जाता है. इस कुण्ड में कोटि-कोटि तीर्थों का जल है. अर्थात इस कुण्ड में अनेक तीर्थ स्थलों का जल होने की मान्यता है. इसी वजह से इस कुण्ड में स्नान करने से अनेक तीर्थ स्थलों में स्नान करने के समान पुन्यफल प्राप्त होता है. इस कुण्ड की स्थापना भगवान राम के परम भक्त हनुमान के द्वारा की गई थी.
महाकाल मंत्र
ऊँ महाकाल महाकाय, महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्...नित्र िनेत्रं
सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्......
हे महेश्वर, सुरेश्वर, देवों (के भी) दु:खों का नाश करने वाले विभुं विश्वनाथ (आप) विभुति धारण करने वाले
हैं, सूर्य, चन्द्र एवं अग्नि आपके तीन नेत्र के सामान हैं। ऎसे सदा आनन्द प्रदान करने वाले पञ्चमुख वाले
महादेव मैं आपकी स्तुति करता हूँ।
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्...नित्र
सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्......
हे महेश्वर, सुरेश्वर, देवों (के भी) दु:खों का नाश करने वाले विभुं विश्वनाथ (आप) विभुति धारण करने वाले
हैं, सूर्य, चन्द्र एवं अग्नि आपके तीन नेत्र के सामान हैं। ऎसे सदा आनन्द प्रदान करने वाले पञ्चमुख वाले
महादेव मैं आपकी स्तुति करता हूँ।
Ek Jigyashu Ne Sant Se Puchha, "Ishwar Ka Dhyaan Karne Se Kya Faayda Hota Hai...?"
Sant Ne Bade Hi Nirmal Bhaav Se Kaha, "He Vats ! Ishwar Ka Dhyaan Karne Se Mann Par
Adhikaar Prapt Hota Hai. Indriyo Par Niyantran Aata Hai. Ekaagrata Badhati Hai. Smruti Shakti
Tez Hoti Hai. Humari Buddhi Sahi Aur Shidhr Hi Faisla
Karnewali Banati Hai. Aatmik Bal Badhata Hai. Dhairya, Sahanshakti, Kshama, Daya,
Nishkaamata Ki Vruddhi Hoti Hai. Aur Savishesh
Aanand, Shaanti, Nirbhikta Prapt Hoti Hai...!"
Sant Ne Bade Hi Nirmal Bhaav Se Kaha, "He Vats ! Ishwar Ka Dhyaan Karne Se Mann Par
Adhikaar Prapt Hota Hai. Indriyo Par Niyantran Aata Hai. Ekaagrata Badhati Hai. Smruti Shakti
Tez Hoti Hai. Humari Buddhi Sahi Aur Shidhr Hi Faisla
Karnewali Banati Hai. Aatmik Bal Badhata Hai. Dhairya, Sahanshakti, Kshama, Daya,
Nishkaamata Ki Vruddhi Hoti Hai. Aur Savishesh
Aanand, Shaanti, Nirbhikta Prapt Hoti Hai...!"
66th Voluntary Blood donation Camp
On 28th Febuary-2012, we have organized our 66th VBD (Voluntary Blood Donation) camp in
Banasal Group, BKT, Lucknow. In this camp 96 students has been donate their blood for poor
and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University and Balarampur Hospital, Lucknow.
Banasal Group, BKT, Lucknow. In this camp 96 students has been donate their blood for poor
and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University and Balarampur Hospital, Lucknow.
63rd Blood Donation Camp....
On 25th Feb.-2012, We organised our 63rd Voluntary Blood Donation Camp in association with R. R. Institute of
Engineering and Technology, BKT, Lucknow. In this camp 71 students has been donated their blood for poor and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
Mata-Pita
Doston kya hum log apne Mata-Pita ko old age main......APNE BACHCHON ki tarah unko PYAR aur DULAR nahi de sakte......????????? unke NAKHARE nahi utha sakte jo unhone humare liye uthaye.......??????...Unki care hum log theek usitarah nahi kar sakte jis tarah unlogon ne humari care kari nhai.....
Bhaut Dukh hota hai jab humare samaj main log apne Mata-Pita ko Old age main unko avoid karte hai.......unki har baat ko galat andaaz main lete hai.......apni patni ko Mata-Pita se jayeda importance dete hai...aur unke pyar, dular aur care ki insult karte hai........
राम का नाम सत्य है — सत्य बोलो मुक्ति है
भगवान राम को मुक्ति का सूचक माना गया है .... उनका जीवन मर्यादाओं की मिसाल है ...... म्रत्यु के बाद अगर किसी भी इंसान को मुक्ति पानी है ....उसको अपने जीवन मे भगवान राम की पूजा अर्चना करनी चाहिए .....मुक्ति पाने से मतलब है दूसरा जन्म प्राप्त करना .....गीता मे कहा गया है की आत्मा अजर -अमर है ...उसको कोई भी न तो काट सकता है ...न ही बदल सकता है .....आत्मा हमेशा एक ही रहती है .....उसका सिर्फ शरीर बदलता है .......इसीलिये जीवन के दो ही सत्य है ...जनम और म्रत्यु .....जन्म और म्रत्यु के बीच राम का नाम ही ऐसा सहारा होता है जिसके द्वारा इंसान अपने दुसरे जन्म की तैयारी कर सकता है ....मतलब मुक्ति प्राप्त कर सकता है .... इसीलिए जब शरीर की अंतिम क्रिया करने के लिए हम शरीर को लेकर निकलते है .... .आसपास के लोगों से कहना चाहते है की राम का नाम सत्य है ...... सत्य बोलो मुक्ति है .....
61st Voluntary Blood Donation Camp
On 25th September-2011, In our 61st Voluntary Blood Donation Camp, 48 followers of The Art Of Living has been donated their
blood at SHIV KRIPA, Eldeco Green, Lucknow, for poor and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
blood at SHIV KRIPA, Eldeco Green, Lucknow, for poor and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
60th Voluntary Blood Donation Camp
On 24th September-2011, We organised our 60th Voluntary Blood Donation Camp in association with R. R. Institute of
Engineering and Technology, BKT, Lucknow. In this camp 107 students has been donated their blood for poor and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
Engineering and Technology, BKT, Lucknow. In this camp 107 students has been donated their blood for poor and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
59th Voluntary Blood Donation Camp
On 20th September-2011, we organised our 59th Voluntary Blood Donation Camp in association of Organic India. In this
camp 62 satff members of Organic India donate their blood for the help of poor and heirless patients admitted in
C.S.M.Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
camp 62 satff members of Organic India donate their blood for the help of poor and heirless patients admitted in
C.S.M.Medical University, Balarampur Hospital, Lucknow.
Honour Of Our Secretary Mr. Mukesh Mishra
Secretary of Chandramauli Foundation, Mr. Mukesh Mishra has been honored by senior doctor of C.S.M.Medical University, Lucknow for organizing successful voluntary Blood Donation Camp on 15th Sept-2011 the foundation day of HARI OM SEWA KENDRA Lucknow.
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58th Voluntary Blood Donation Camp
On 20th September-2011 we have organised our voluntary Blood Donation camp in association with Hari Om Sewa Kendra and HYGIA Institute of pharmaceutical Education & Research, Lucknow. In this camp 62 students donate their blood for poor and heirless patients admitted in C.S.M. Medical University, Lucknow and Balrampur Hospital, Lucknow.
57th Voluntary Blood Donation Camp
We have organised our 57th Voluntary Blood Donation Camp in association with R.S.M. Group of Professional Colleges and State Blood bank, Lucknow. In this Camp more than 100 students donate their blood for poor and heirless patients admitted in C.S.M.Medical University and Balarampur Hospital, Lucknow.
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